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Showing posts from August, 2021

सफर

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उसकी     तस्वीर    अपने    मन    में    लिए,  ये    क्यों    कहता    हूँ,?  कब    देखूंगा    उसके    मन    में    तस्वीर     अपनी ,  ये     क्यों     सोचता    हूँ ?  चाहत     का    ये    वो    सिलसिला    हैं ,   जो    ताउम्र    चलता     रहेगा ॥  यही     तो     वो     सफर    है,  जो    ना    खत्म     हुआ    है॥ आज     भी     मेरे मन   -   जीवन    बसा     हुआ    है॥                                  याचिका 786 Comments Popular posts from this blog ऐहसास By  Yachika Jaanu Das   -  August 11, 2021   आपकी खामोशी आपकी अदा है,  

शुभचिंतक

हमें     कहे     कोई , तो     हम     चल     देते      हैं , लेकर      अपना      दिया     बाती , हम    कहें    तो , आखिर    किस     से , यहां     कोई     नहीं , हमारा    साथी....... ...... अरे     ये    क्या    कह      दिया......? .......आंख       खोल      कर      देख , अपने    दसों     दिशाओं     में , सब     पलके    बिछाए, हाथ    फैलाए    राह     तके , तेरे     शुभचिंतक      हैं , ...........आखिर    क्यों      नहीं ? कोई      तुम्हारा      साथी , ...... . . हैं     सब    हैं........, तेरे    साथी      ही , सुख   -   दुःख      के ॥

क्या मैं

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  हर    एक    कदम     पे    तुझको     हैं    पाया,    ये    जीवन     तुझमें    हैं     समाया ॥  क्या     मैं     अब     बतलाऊं      खुद     से  , मैं    डूबने     लगा     हूँ      उसमें                                               याचिका 786

ख्याल 2

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  क्या    जरूरत    हैं    मिलने    की मिलतें    तो    वो    हैं जिन्हें    खुद    पर विश्वास    नहीं     होता    हैं हमें    तो    विश्वास    हैं अपने    ही    ख्यालों    पर जो    कि    सिर्फ    हमारे    हैं हमेशा    के    लिए                                            याचिका 786

चाहत

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  आप     चाहे    कहीं    भी     जाए , ‌ आपकी    चाहत    में  , ‌दुनिया    तो    ना    चाहकर     भी , ‌आपकी    दिवानी    हो    ही    जाईगी ॥ 

मेरी दृष्टि

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  मैं    पागल    प्रेमी    कहलाना    चाहूँ ,  हे    ईश्वर    तेरी    चाहत     में ॥  मेरी    दृष्टि     में    ये    पवित्र    है,  संसार    के    दृष्टि    में      क्यों    अपवित्र    हैं ॥                                                            याचिका 786

फिर मिलेगें

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  एक    बार    देखा    हृदय    उन्हें    प्रेम     कर    बैठा, ब स    यही    अपराध    हृदय    एक    बार    में    ही    कर    बैठा॥  मिलना    तो    उनसे    जीवन    में    संभव    न    था,  ये      सब    जानते    हुए    भी    हृदय    उनसे    अथाह       प्रेम    कर    बैठा॥  अगर    निर्णय    हुआ    भाग्य    का    तो    पुष्प    फिर    खिलेंगे,  बिछड़े    हुए    दो    हृदय    फिर    मिलेंगे॥  अगर    मिल    न    पाये    इस    जीवन    में    तो     क्या    हुआ,  ये    हृदय    प्रेमी    है    फिर    मिलेंगे    किसी    और    जीवन    में ॥                                                            याचिका 786    

चाहत का सिलसिला हैं ,

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  उसकी     तस्वीर    अपने    मन    में    लिए,  ये    क्यों    कहता    हूँ,?  कब    देखूंगा    उसके    मन    में    तस्वीर     अपनी ,  ये     क्यों     सोचता    हूँ ?  चाहत     का    ये    वो    सिलसिला    हैं ,   जो    ताउम्र    चलता     रहेगा ॥  यही     तो     वो     सफर    है,  जो    ना    खत्म     हुआ    है॥ आज     भी     मेरे मन   -   जीवन    बसा     हुआ    है॥                                  याचिका 786

ख्याल

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  कैसे    बतलाएँ,  खुद     को     यहाँ॥  तुम्हारे     बिना,  जिया    ना    जाए॥  ख्यालों   का    सफर,  हो    रहा    है॥   पर     ख्यालों    में, खुद     को    कैसे,  तुमसे    मिलाया   जाए                                       याचिका 786

पिताजी आपकी यादों ने दीया सहारा

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चाहत   में   हर   खुशी   पाएं,  दिल   में   यही   अर्मा   समाए ॥  ख्वाहिशों   की   मंजिल   में ,, सिर्फ   आपको   ही   पाएं ॥  धड़कनों   में   ऐसे   समाए,  कि    हर   आहट   में   आपको   पाना   चाहे ॥  आपको   सामने   देखना   चाहे॥  खुशी   वह   जो   हृदय   में   समाए ,    दु :ख   वह   जो   जीवन   भर   रुलाए ॥  चाहना   वह   जो   एक   बार   में   मिल   जाए ,  खोना   वह   जो   ना   चाह   कर   भी   खो   जाए॥    पिताजी   आपकी   यादों   ने   दीया   सहारा,  वरना   हम   तो   जाते   उब॥  🙏🏻 प्रणाम  🙏🏻 पिताजी  आपको   श्रद्धांजलि    श्रद्धा   सुमन    समर्पित करते हैं|                                       याचिका 786

प्रेम का जन्म

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  राज     दुनिया     में,  वो    करते    हैं ,   जो    हृदय    पर,  राज    करते    हैं॥  जब    एक    हृदय,  दूसरे     हृदय    को,  पहचान    लेता     हैं॥  तब     जा    कर,  प्रेम    का    जन्म    होता    हैं॥  जिसका    फिर    कोई,  अंत    नहीं    होता    हैं॥                                         याचिका 786
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    आपकी खामोशी आपकी अदा है,  आपकी इन दूरियो का भी  मेरी चाहत का मज़ा है॥   देख आपकी  खामोशी को  ऐहसास हमें ये होता है,  हमारी जिन्दगी,  आज खूबसूरत ,   बेहतर है, तो  आप सिर्फ आप हो ,  उसकी वजह हो. आंखों की चमक ,   उजाला बनकर ,  शब्द आपके,  मधुर गीत बनकर,  चरणों में आपके,  बीता दे जीवन,  सिर्फ दास बनकर. 

इस दिल में रहेगी

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   इस दिल में रहेगी सदा,  जिस दिल में खुदा वसना!  ये कौन जाने दिल में क्या,  दिल ही जाने दिल में क्या हैंं. अंखियों से दिल का रस्ता मिला हैं, दिल के रस्ते से खुदा (ईश्वर) मिला हैं.

दिल के रस्ते

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 इस दिल में रहेगी सदा,  जिस दिल में खुदा वसना!  ये कौन जाने दिल में क्या,  दिल ही जाने दिल में क्या हैंं. अंखियों से दिल का रस्ता मिला हैं, दिल के रस्ते से खुदा (ईश्वर) मिला हैं.

ऐहसास

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  आपकी खामोशी आपकी अदा है,  आपकी इन दूरियो का भी  मेरी चाहत का मज़ा है॥   देख आपकी  खामोशी को  ऐहसास हमें ये होता है,  हमारी जिन्दगी,  आज खूबसूरत ,   बेहतर है, तो  आप सिर्फ आप हो ,  उसकी वजह हो. आंखों की चमक ,   उजाला बनकर ,  शब्द आपके,  मधुर गीत बनकर,  चरणों में आपके,  बीता दे जीवन,  सिर्फ दास बनकर.