शुभचिंतक
हमें कहे कोई ,
तो हम चल देते हैं ,
लेकर अपना दिया बाती ,
हम कहें तो ,
आखिर किस से ,
यहां कोई नहीं ,
हमारा साथी.......
...... अरे ये क्या कह दिया......?
.......आंख खोल कर देख ,
अपने दसों दिशाओं में ,
सब पलके बिछाए,
हाथ फैलाए राह तके ,
तेरे शुभचिंतक हैं ,
...........आखिर क्यों नहीं ?
कोई तुम्हारा साथी,
........हैं सब हैं........,
तेरे साथी ही ,
सुख - दुःख के ॥
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